- जो शत्रु बनाने से भय खाता है, उसे कभी सच्चे मित्र नहीं मिलेंगे।
- उनसे कभी मित्रता न कर, जो तुमसे बेहतर नहीं।
- जीवन में एक मित्र मिल गया तो बहुत है, दो बहुत अधिक है, तीन तो मिल ही नहीं सकते।
- या तो हाथीवाले से मित्रता न करो, या फिर ऐसा मकान बनवाओ जहां उसका हाथी आकर खड़ा हो सके।
- संसार में केवल मित्रता ही एक ऐसी चीज है जिसकी उपयोगिता के सम्बन्ध में दो मत नहीं है।
- न्याय नहीं बल्कि त्याग और केवल त्याग ही मित्रता का नियम है।
- प्रकृति जानवरों तक को अपने मित्र पहचानने की सूझ-बूझ दे देती है।
- ज्ञान मुक्त करता है, पर ज्ञान का अभिमान नरकों में ले जाता है।
- सच्चा प्रेम दुर्लभ है, सच्ची मित्रता उससे भी दुर्लभ।
- अच्छाई का अभिमान बुराई की जड़ है।
- स्वार्थ और अभिमान का त्याग करने से साधुता आती है।
- अपनी बुद्धि का अभिमान ही शास्त्रों की, सन्तों की बातों को अन्त: करण में टिकने नहीं देता।
- वर्ण, आश्रम आदि की जो विशेषता है, वह दूसरों की सेवा करने के लिए है, अभिमान करने के लिए नहीं।
- आप अपनी अच्छाई का जितना अभिमान करोगे, उतनी ही बुराई पैदा होगी। इसलिए अच्छे बनो, पर अच्छाई का अभिमान मत करो।
Sunday, July 18, 2010
सर्वोत्तम सुक्तियां
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5 comments:
बहुत बढ़िया सूक्तियाँ है!
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आप स्वयं तथा मित्रों को भी अमल में लाने के लिए प्रेरित करें!
बहुत बढ़िया सूक्तियाँ है!
अच्छी सूक्तियां हैं और व्यवहार जगत का सत्य भी .
बधाई !
हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत करता हूँ .सार्थक लेखन और सामूहिक मंच पर आपसी सोच और विमर्श का आदान प्रदान की स्वस्थ्य परंपरा ही हम सबका उद्देस हो तथा मत विभिन्नता में भी शालीनता हम बनाये रख सकें यही प्रयास भी .शुभकामनाओं सहित -राज सिंह
पुनश्च : यदि आपने वर्ड वेरिफिकेसन लगाया हो तो उसकी उपयोगिता कुछ खास नहीं है ,हटा दें .हाँ यदि सोचते हों की टिप्पणियों में अभद्रता पाई जा सकती है तो मोदेरेसन का इस्तेमाल कर सकते हैं .
आपकी फोटो बहुत ही अच्छी है. आप बहुत ही विनम्र लगते हैं और साथ ही साथ बहुत ही सक्रिय.
आपकी पोस्ट का विषय आपके अपने व्यक्तिव का दर्पण लगता है. धन्यवाद इतनी सुन्दर सुक्तियों को प्रस्तुत करने के लिये.
आपका ही
चन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
सुन्दर सूक्तियां-क्या हम इन पर चल रहे हैं!!??
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