Friday, September 24, 2010

कड़वे प्रवचन

क्रांतिकारी मुनिश्री तरुणसागर के कड़वे प्रवचन

महिलाओं में कई खूबियों के साथ एक खामी भी है। इनको कोई बात पचती नहीं है। स्त्रियों से कोई बात छिपती नहीं है। इसलिए कहते हैं जो बात पूरे गांव में फैलानी हो, किसी एक स्त्री को बता दो। बस फिर तुम चादर तान कर सो जाओ। जब तुम सोकर उठोगे तो बात पूरे गांव में फैल चुकी होगी। इस वूमन न्यूज चैनल का सामना आज तक भी आज तक नहीं कर पाया। हाँ, बात बताते वक्त इतना जरूर कह देना कि बहन, किसी और को मत बताना। निषेध में आकर्षण होता है, मन के लिए कोई भी निषेध निमंत्रण बन जाता है।

परायों के साथ जीना जितना आसान है, घर-परिवार के साथ जीना उतना ही मुश्किल है। घर में जीने का अर्थ केवल यह नहीं कि हम ईंट-पत्थर और चूने से बने मकान में जिएं। घर के साथ जीने की पहली शर्त है कि हम अपने भीतर आत्मीयता और सहज स्नेह का विस्तार करें। जिस घर में तीन पीढिय़ां एक साथ बैठकर भोजन और भजन करते हैं, वह घर धरती पर साक्षात् स्वर्ग है। आध्यात्म का प्रारम्भ धर्म से होता है, परन्तु धर्म का प्रारम्भ घर से होता है। और घर में घरवाली नहीं तो घर घर नहं, महज मकान होता है।

3 comments:

गजेन्द्र सिंह said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति .......

कृपया इसे भी पढ़े :-
क्या आप के बेटे के पास भी है सच्चे दोस्त ????

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

कड़वी दवा ज्यादा असर करती है!
--
सुन्दर प्रवचन!

प्रतुल वशिष्ठ said...

Koi vachan kadwaa to nahin lagaa.
Bahut hii saral aur sahaj bhaashaa me aapne vyavhaarik sootra diyaa hai. haan, aapne striyon sambandhi baat jo kahii hai vah saty hai lekin we striyaan hii hoti hain jo kisii ke 'RAJ' KO TA-UMRA chhipaa kar rakh saktii hain.

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